लिजलिजी भावनाओं से
पैर पूरी तरह
पैर पूरी तरह
जम गए हैं
जैसे–जैसे हिलता है
उतर जाता
जैसे–जैसे हिलता है
उतर जाता
बहुत गहरे
जैसे किसी
जैसे किसी
सूनी जगह के
भयानक दलदल में
उतरता चला जाता
कोई
भयानक दलदल में
उतरता चला जाता
कोई
निरीह चोपाया।
भावनाओं के इस
लिजलिजे खेल में
जो भी उतरा
कभी नहीं जीता
वह छला गया
जैसे छला जाता है
वेणुवादन के
मधुर नाद में
कोई निरीह कुरंग
जिसकी प्रतीक्षा
कर रहा संधान ।
त्रिलोकी मोहन पुरोहित , राजसमंद (राज॰)
भावनाओं के इस
लिजलिजे खेल में
जो भी उतरा
कभी नहीं जीता
वह छला गया
जैसे छला जाता है
वेणुवादन के
मधुर नाद में
कोई निरीह कुरंग
जिसकी प्रतीक्षा
कर रहा संधान ।
त्रिलोकी मोहन पुरोहित , राजसमंद (राज॰)