बांधने की कोशिश में
भूल ही जाते हो कि
बांधने वाली मूंज की
खुरदरी रस्सी
प्रथम तो बाँधने वाले के
लिपटती है हाथों से
अौर अंत में छोड़ जाती है
निशान क्रूरता के।
भूल ही जाते हो कि
बांधने वाली मूंज की
खुरदरी रस्सी
प्रथम तो बाँधने वाले के
लिपटती है हाथों से
अौर अंत में छोड़ जाती है
निशान क्रूरता के।
तमाम बंधनों की
सफलता पर
अपनी विजय तय करने वाले
सुकोमल तंतुओं के आकर्षण को
पहचान लिया होता
जहाँ समर्पण के विनय में
जय - पराजय नहीं रखते अस्तित्व
जहाँ बंधन के स्थान पर
संबंध साँस लेते हैं।
सफलता पर
अपनी विजय तय करने वाले
सुकोमल तंतुओं के आकर्षण को
पहचान लिया होता
जहाँ समर्पण के विनय में
जय - पराजय नहीं रखते अस्तित्व
जहाँ बंधन के स्थान पर
संबंध साँस लेते हैं।
देह के कसे क्रूर बंधन
कब रोक पाए
प्रेम की मुक्तावस्था को
जहाँ पर आत्मा
खुली आँखों के समक्ष
अपने प्रियतम से
दिवस भर में
हजार अभिसार करती है।
कब रोक पाए
प्रेम की मुक्तावस्था को
जहाँ पर आत्मा
खुली आँखों के समक्ष
अपने प्रियतम से
दिवस भर में
हजार अभिसार करती है।
तृप्ति मिलती है बंधनों में
तो कर ही लीजिए पूर्ण
मन की इच्छाएं
जो विवश करती है दमन के लिए
परंतु तरल आत्मा फिर भी
बंधनों के पार जाएगी
अभिसारण करने के लिए
जैसे रिसकर चली जाती है रोशनी
अंधेरी कोठरी के
महीन छिद्र से बाहर
यह चुनौती कमतर नहीं है
क्रूर बंधनों तुम्हारे लिए ।
तो कर ही लीजिए पूर्ण
मन की इच्छाएं
जो विवश करती है दमन के लिए
परंतु तरल आत्मा फिर भी
बंधनों के पार जाएगी
अभिसारण करने के लिए
जैसे रिसकर चली जाती है रोशनी
अंधेरी कोठरी के
महीन छिद्र से बाहर
यह चुनौती कमतर नहीं है
क्रूर बंधनों तुम्हारे लिए ।
- त्रिलोकी
मोहन पुरोहित, राजसमन्द।
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