Tuesday, 2 April 2013

आदमी छोटा है


इच्छाएं बड़ी-बड़ी आदमी छोटा है ,      
कैसे कहूं वह बड़ा आदमी छोटा है .      

वेदना को छांटने में व्रत है कर रहा ,
संकल्प हैं बड़े-बड़े आदमी छोटा है .

फंसता है आदमी धारा के प्रवाह में ,
मतवाली धारा में आदमी  छोटा है .

ख़ुशी और गम साथ-साथ पाले हुए ,
अभिनय हैं बड़े-बड़े आदमी छोटा है .

नज्मों औ गीतों में आदमी गाता है ,
संत्रास है सुरसा से आदमी छोटा है .

दीवारें बनती नहीं सुलग जाता घर ,
द्वंद्व मिलते बड़े-बड़े आदमी छोटा है .

पंजों के बल खडा आदमी थकता है ,
शेष कद हैं बड़े-बड़े आदमी छोटा है .

सर चढ़ी गठरी है अवसाद लिए हुए ,
गठरी हुई बड़ी-बड़ी आदमी छोटा है .

रोता क्यूं बावला बगुलों के बीच में ,
खुदा खुद गवाह है आदमी छोटा है .

काँप रहा संतुलन बैठा हुआ आदमी ,
भय-भूख भारी हुई आदमी छोटा है .

खींच के गुलेल को वह दिशा साध ले ,
जो दिशा खाली हुई आदमी छोटा है .

तुच्छ कहे साधन भी मौके पे भारी है,
छोड़ दिया मौका तो आदमी छोटा है .

- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमन्द.

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