इच्छाएं बड़ी-बड़ी आदमी छोटा है ,
कैसे कहूं वह बड़ा आदमी छोटा है .
वेदना को छांटने में व्रत है कर रहा ,
संकल्प हैं बड़े-बड़े आदमी छोटा है .
फंसता है आदमी धारा के प्रवाह में ,
मतवाली धारा में आदमी छोटा है .
ख़ुशी और गम साथ-साथ पाले हुए ,
अभिनय हैं बड़े-बड़े आदमी छोटा है .
नज्मों औ गीतों में आदमी गाता है ,
संत्रास है सुरसा से आदमी छोटा है .
दीवारें बनती नहीं सुलग जाता घर ,
द्वंद्व मिलते बड़े-बड़े आदमी छोटा है .
पंजों के बल खडा आदमी थकता है ,
शेष कद हैं बड़े-बड़े आदमी छोटा है .
सर चढ़ी गठरी है अवसाद लिए हुए ,
गठरी हुई बड़ी-बड़ी आदमी छोटा है .
रोता क्यूं बावला बगुलों के बीच में ,
खुदा खुद गवाह है आदमी छोटा है .
काँप रहा संतुलन बैठा हुआ आदमी ,
भय-भूख भारी हुई आदमी छोटा है .
खींच के गुलेल को वह दिशा साध ले ,
जो दिशा खाली हुई आदमी छोटा है .
तुच्छ कहे साधन भी मौके पे भारी है,
छोड़ दिया मौका तो आदमी छोटा है .
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमन्द.
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