सत्य से अनजान रह ,
तथ्यों से आसक्ति ,
कर रही है सीमित,
जीवन गंध के श्रोत,
जैसे बांध दी गयी हो ,
बहती हुई नदी .
नदी बंधती नहीं .
बस बदल जाती है,
एक ताल में,
जहां पर डेरा डाल देते हैं ,
रंगीन मिजाज मछेरे ,
उन्हे क्या लेना देना ,
लहलहाते हैं खेत ,
पनपते हैं वन - उपवन ,
उन्हें चाहिए मात्र-
अपने -अपने जालों में ,
अपने -अपने मतलब की मछलियाँ
पकड़ी गयी मछलियों से,
तथ्यों से आसक्ति ,
कर रही है सीमित,
जीवन गंध के श्रोत,
जैसे बांध दी गयी हो ,
बहती हुई नदी .
नदी बंधती नहीं .
बस बदल जाती है,
एक ताल में,
जहां पर डेरा डाल देते हैं ,
रंगीन मिजाज मछेरे ,
उन्हे क्या लेना देना ,
नदी के सुदीर्घ प्रवाह से ,
जहाँ बसती है बस्तियां ,लहलहाते हैं खेत ,
पनपते हैं वन - उपवन ,
उन्हें चाहिए मात्र-
अपने -अपने जालों में ,
अपने -अपने मतलब की मछलियाँ
पकड़ी गयी मछलियों से,
बनायेंगें अपनी-अपनी पेठ ,
समाज मे तथाकथित प्रतिष्ठा, और-
साधने की कोशिश करेंगे ,
सत्ता के घोड़े ,
जिससे सत्ता के रथ में बैठ ,
वहां कर सके ,
सत्ता के गलियारे में,
स्वच्छंद चहलकदमी ,
जैसे-
अँधेरे और जुर्मुटे में रेंगते हैं ,
अँधेरे और जुर्मुटे में रेंगते हैं ,
निगलने को आतुर भीमकाय अजगर.
शवों के ढेर पर ,
टिकाये अपना खंभ ,
टिकाये अपना खंभ ,
चाहते हैं बटोरना तथ्य ,
मसलन कि--
पैसा , जमीं , ताकत ,
पैसा , जमीं , ताकत ,
और-
इनके बलबूते पर,
कर लेना चाहते हैं ,
कर लेना चाहते हैं ,
मुट्ठी में ,
तरल सुकोमल सुगन्धित सत्य ,
मानो जकड़ लेना चाहता है ,
गजशावक,
शंख- पुष्पी का सुकोमल,
श्वेत,अमृत बूँद सा पुष्प .
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