Monday, 29 August 2011

कहाँ - कहाँ    खोजूं , किस  -  किस को  मैं  देखूं ,
याद  बहुत ही आती है, तुम  को  आता  मैं   देखूं ,


.समंदर सा  दहाडूं  , तुम  नदिया  सी  इठलाओ,
अपनी खुली हुई बाहों में, तुम्हें बंधा हुआ  मैं देखूं


तुम  रस  भरी  बेरी    सी , मैं  बहुत  ही  प्यासा,
हाथों   में थामे तुमको , होठों  से  सटा  मैं   देखूं .
.

मैं  कागज़ का कोरा पन्ना,तुम लिखी हुई इबारत
तुम  से ही मेरा   मकसद , तय  सदा  ही  मैं  देखूं
.

हाथों की लकीरों   में, लिखा   हो  तुम्हारा  मिलना,
कुछ और मिले ना मिले ,पर तुमको मिलता मैं देखूं


उम्मीद  बस  इतनी  सी ,जिन्दगी  की  डगर  पर,
तेरी  साँसों के साथ मेरी  ,साँसों को मिलता मैं  देख्नू.

                                                                                                                                                

2 comments:

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  2. wah wah,,,,,mast aur Zabardast,,,Akhil

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