Subscribe to:
Post Comments (Atom)
संवेदना तो मर गयी है
एक आंसू गिर गया था , एक घायल की तरह . तुम को दुखी होना नहीं , एक अपने की तरह . आँख का मेरा खटकना , पहले भी होता रहा . तेरा बदलना चुभ र...
-
प्रयाण गीत गान से , वर वीर वाहिनी के , क्षिप्रता से बढ़े जैसे , दावानल बढ़ते . कपि-वृन्द उत्साह से, कूर्दन-धावन करे , ...
-
चाहता हूँ मिलूँ अपनी मिट्टी से। कई रंग मिलते अपनी मिट्टी से॥ रंज और गम क्यों रखूँ अपनों से। एक रिश्ता भी है अपनी मिट्टी से॥ बुरा भी भ...
-
बांधने की कोशिश में भूल ही जाते हो कि बांधने वाली मूंज की खुरदरी रस्सी प्रथम तो बाँधने वाले के लिपटती है हाथों से अौर अं...
No comments:
Post a Comment