सीढ़ी बनना कब छोड़ेगा , चढ़ना भी तो सीख ज़रा.
मुंह की पट्टी कब खोलेगा, कहना भी तो सीख ज़रा.
दे कर ठन्डे जल की फुहारें , तुझ को बहलाया जाता.
ज्वाला से क्या घबराना है , तपना भी तो सीख ज़रा .
तेरे कंधे पर चढ़ कर सब , ऊँचे आसन बैठ गए वे .
काहे कहारी में लगता है , कटना भी तो सीख ज़रा.
फिर यह लोहा तपने वाला , इस में इंधन जोंक ज़रा.
सर थामे क्यों बैठा रहता , धमना भी तो सीख ज़रा.
नई रोशनी की चाहत में , बन के पतंगा देख 'त्रिलोकी'.
गांधी जी का देश है प्यारे , मरना भी तो सीख ज़रा.
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