Tuesday, 10 July 2012

जरा हँस के दिखाइए .



उदासियाँ बहुत खलती हैं , जरा हँस के दिखाइए  .
इसी बहाने यहाँ फूलों को , मुस्कराने भी दीजिए  .

गलतियां हुई है बहुत ही,
कभी हम से ,कभी तुम से .
कोशिश भी हुई मनाने की,
कभी तुम से ,कभी हम से .

मौसम यूं ही न बीत जाए , इस रुत को सजाइए  .
इसी बहाने यहाँ फूलों को  , मुस्कराने भी दीजिए  .


चुपके -चुपके पढ़ते होंगे ,
तुम हमारे दिये ख़त को .
पढ़-पढ़ के भिगोते होंगे,
तुम हमारे दिये ख़त को .

ख़त में लिखी हमारी बातें , अब यूं ही न बहाइए  .
इसी बहाने यहाँ फूलों को , मुस्कराने भी दीजिए  .


छेड़ दी है जीवन की सितार ,
तेरे - मेरे सरगम सजाने को .
बहाया है जीवन का झरना ,
तपिश में यहाँ भीग जाने को.

हम-तुम जले दूर रह कर , अब बाहों में समाइए .
इसी बहाने यहाँ फूलों को  ,मुस्कराने भी दीजिए .


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