Saturday 21 July 2012

ये सूरत दिखती , कई दिनों से .


बगिया महकी  , कई दिनों से .
कलियाँ चटकी , कई दिनों से.


तुझे देख कर ,
मौसम बदला .
नीड़ में दुबका , 
पंछी  मचला .


गौरैया चहकी , कई दिनों से .
ले आई तिनके ,कई दिनों से .



लगी अर्गला ,
उतर चली है .
झीनी झिल्ली ,
खिसक चली है.


खिड़की खुलती , कई दिनों से .
ये सूरत दिखती , कई दिनों से .


फिर से काली ,
कलम दौड़ती .
धवल अर्थ से ,
शब्द जोड़ती .


कविता रच दी  , कई दिनों से .
तुम जो मिलती , कई दिनों से .







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