हमें देख कर मुस्काते हो , घर पर आना .
चाय पियेंगे , बात करेंगे , घर पर आना.
गुड़हल की शाखाओं पर ,
लकदक हो कर फूल झूलते .
लाज सरीखे उन फूलों से ,
मधुकर आ कर भाव पूछते .
तेरे ही जूड़े ,फूल गूंथना , घर पर आना.
चाय पियेंगे ,बात करेंगे , घर पर आना.
बरसाती मेघों को लेकर ,
गीले-गीले गीत लिखे हैं .
सूत्र सरीखे कच्चे रिश्ते ,
उन गीतों में खूब जिये हैं .
दुर्वा पर बैठे ,गीत पढेंगे , घर पर आना.
चाय पियेंगे ,बात करेंगे , घर पर आना.
बहुत सहेज के रखे हुए है,
वो तेरे - मेरे निर्मल बचपन .
फटी पुस्तकें जीर्ण खिलौने ,
अब भी कहते अपनी अनबन .
चलो सुलह , करने बैठें , घर पर आना.
चाय पियेंगे , बात करेंगे , घर पर आना.
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