आग लगी जिसके घर में,बैठ वहाँ पर सुबक रहा.
पास -पडौस इकट्ठा होकर , हाथ करारे ताप रहा.
गुरु-चर्चा होगी ,लेखन होगा ,
रपट के सह विज्ञापन होगा ,
सब अपनी रोटी सेंक चलेंगे,
शेष पसारा - जलावन होगा.
जिसका सब कुछ चला गया,वह बैठा छाती पीट रहा.
कुछ दाँत गड़ायेंगे गर्दन में,
कुछ झूमेंगे , कुछ अकड़ेंगे ,
कुछ फूले न समायेंगे मर्दन में ,
जो लुटा गया है छला गया है, पदाघात से उछ्ल रहा .
रक्षा हेतु जो कदम बढ़ा था , वो ही उसको पीस रहा.
शेष पसारा - जलावन होगा.
जिसका सब कुछ चला गया,वह बैठा छाती पीट रहा.
हमदर्दी में जो हाथ बढ़ा था, वो ही उसको जला रहा.
कुछ नोचेंगे , कुछ झपटेंगे ,कुछ दाँत गड़ायेंगे गर्दन में,
कुछ झूमेंगे , कुछ अकड़ेंगे ,
कुछ फूले न समायेंगे मर्दन में ,
जो लुटा गया है छला गया है, पदाघात से उछ्ल रहा .
रक्षा हेतु जो कदम बढ़ा था , वो ही उसको पीस रहा.