Saturday, 15 October 2011

मगर से वेर नहीं किया जाता है


पत्नी जी  ने प्यार से  पूछा,
आज दिन भर को ,
क्या करिएगा?
अचानक से दागे गए,
तोप के गोले से  सवाल ने ,
दिमाग के तंतु हिलाए, 
याद आया ,अरे रे !
आज करवा चोथ है .

तपाक से बोले-
ओ मेरी सरकार,
बधाई करें स्वीकार,
आज करवा चोथ है ,
दिन भर आपके साथ हैं,

दागा गया दूसरा सवाल -
आज नया क्या करिएगा ?
हमने तपाक से दिया जवाब -
शाम को लिखेंगे ,
एक पत्नी-व्रत पर कविता,
.
बाँक  नजर डाली हमपर,
और  कहा-
हाँ,कविता लिखो जरूर ,
परन्तु , नहीं होनी चाहिए,
किसी भी तरह  की बुराई.

हमने प्यार से कहा- 
नहीं रे,ऐसे थोड़ा होता है,
दरिया में रहना ,
और-
मगर से वेर करना ?

कहने को हम ने  कहा दिया......
............................................

अब वो हमें ताक रही थी ,
हम उन्हें  ताक रहे थे ,
उनका  प्याल छूट गया,
हमारा  पसीना छूट गया.

( सभी भाई-भावज  को करवा चोथ की बधाई)
===============================

No comments:

Post a Comment

संवेदना तो मर गयी है

एक आंसू गिर गया था , एक घायल की तरह . तुम को दुखी होना नहीं , एक अपने की तरह . आँख का मेरा खटकना , पहले भी होता रहा . तेरा बदलना चुभ र...