सरपंच का ज़रा गुंडई राज तो देखिये.
पीट दिये गये गुरू जी, खबर तो देखिये.
साधना के केंद्र सारे,अखाड़े बनते देखिये.
भाइयों को राजनीति के दंड पेलते देखिये .
आदमी बनने थे बच्चे, मुर्गा बनते देखिये.
लूट-डकैती-ह्त्या वाले ,धोंस जमाते देखिये .
यार तू क्यों रो रहा , अपनी रोजी देखिये .
जगत गुरु के देश में .हजार कसाब देखिये.
जनाब चुप रहे तो यार ,आगे दृश्य देखिये.
पिल पड़ेंगे गुंडे सारे ,गुरु नंगे होते देखिये.
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