Friday, 7 October 2011

आदरांजलि-श्रद्धांजलि - स्टीव जॉब्स

स्टीव जॉब्स मैं कैसे दूं 
आपको श्रद्धांजलि 
मेरे पास नहीं हैं 
उचित शब्द-अभिव्यक्ति .

आपने खाएं हैं 
बहुत सारे थपेड़े, 
शायद आपका जन्म,
हुआ था तूफान की ,
आलोड़ित तरंगों पर ,

माँ की पवित्र कोख में ही,
लिख दिया था ईश्वर ने ,
आपके भाग्य में भटकन,
परन्तु -
बदल दिया भटकन को ,
स्वयं ने अपने लिए-
वरदान,
शायद आप माँ की कोख में ,
आते ही हो गए थे सकारात्मक ,
सच में यार!
तभी तो हो पाए -
अद्भुत इंसान .

सीखने के लिए चाहिए,
कुंठा रहित जीवन ,
अंतस की प्रेरणा ,
और -
अबोध शिशु सा खालीपन ,
आपने जिया है सम्पूर्ण जीवन ,
अपने बचपन के साथ,
बचपन कभी याद नहीं रखता,
अपना मूल उत्स ,
हमेशा रखता है,
अपने आपको खाली ,
तभी तो -
कहीं भी खा लेना , 
कहीं भी सो लेना,
बड़ी सहजता से कर लेता है ,
तभी तो वह बढ़ता चला जाता है,
पहाडी झरने की तरह .

स्टीव जॉब्स आपकी ,
सकारात्मक सोच ने ,
बढ़ा दिया है आपका कद ,
जीवन भर ढ़ोया है ,
पवित्र बचपन ,
इसीलिये हो गए हो मेरे लिए ,
मेरे प्यारे बाबा गांधी जैसे.
पहले पत्र में थी कुछ कड़वाहट,
वैसी ही कुछ कड़वाहट है इसमें भी  ,
परन्तु ,
यहाँ है मेरी आपके प्रति -
आदरांजलि-श्रद्धांजलि है .
मेरे  पत्र का इंतज़ार करो.







No comments:

Post a Comment

संवेदना तो मर गयी है

एक आंसू गिर गया था , एक घायल की तरह . तुम को दुखी होना नहीं , एक अपने की तरह . आँख का मेरा खटकना , पहले भी होता रहा . तेरा बदलना चुभ र...