जितना तुम को,
याद किया है ,
उतना ही तो,
कटता हूँ .
तुम को भूलूँ ,
कैसे भूलूँ ,
इस कोशिश में ,
बंटता हूँ .
तुम में मुझ में ,
क्या अंतर है ?
लिए आईना
पढ़ता हूँ .
भरे सरोवर
में कमलों के ,
नखरों से अब ,
डरता हूँ.
तुम आओगे ,
या जाओगे ,
इन प्रश्नों से ,
लड़ता हूँ .
हंसों को घर ,
आते देखा ,
नव आशा से ,
भरता हूँ.
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