स्वागत-स्वागत
नूतन वर्ष .
रोग -शोक से
रिक्त रहें सब
प्रथम किरण के
प्रथम दिवस से
पूरो घर-घर हर्ष.
सब की चर्या ,
रहे सुरक्षित
नव-नव दिवस
नवल उल्लास
पायें सब उत्कर्ष.
करुणा-धारा
बहे निरंतर
झर-झर- झरे
नेह की धार
हम बनें जयी
करें देश पर दर्प .
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमन्द.
No comments:
Post a Comment