Tuesday 1 January 2013

नूतन वर्ष .


स्वागत-स्वागत
नूतन वर्ष .

रोग -शोक से
रिक्त रहें सब
प्रथम किरण के
प्रथम दिवस से
पूरो घर-घर हर्ष.

सब की चर्या ,
रहे सुरक्षित
नव-नव दिवस
नवल उल्लास
पायें सब उत्कर्ष.

करुणा-धारा
बहे निरंतर
झर-झर- झरे
नेह की धार
हम बनें जयी
करें देश पर दर्प .

- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमन्द.

No comments:

Post a Comment

संवेदना तो मर गयी है

एक आंसू गिर गया था , एक घायल की तरह . तुम को दुखी होना नहीं , एक अपने की तरह . आँख का मेरा खटकना , पहले भी होता रहा . तेरा बदलना चुभ र...