आदमी ने कपास को
पूरी ताकत से
मारी थी ठोकर
और ज़ोर से बोला –
देख ली मेरी ताकत।
कपास ने प्रत्युतर में
अपने को कपड़ा बनाया
आदमी को ढका
अब आदमी..................
कपास को छोड़ना नहीं चाहता
उसे डर है-
वह नंगा ना हो जाए।
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमंद (राज)
पूरी ताकत से
मारी थी ठोकर
और ज़ोर से बोला –
देख ली मेरी ताकत।
कपास ने प्रत्युतर में
अपने को कपड़ा बनाया
आदमी को ढका
अब आदमी..................
कपास को छोड़ना नहीं चाहता
उसे डर है-
वह नंगा ना हो जाए।
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमंद (राज)
No comments:
Post a Comment