यह धूप
रुचिकर लगती
जब तुम
साथ होते
छाते की तरह ।
रुचिकर लगती
जब तुम
साथ होते
छाते की तरह ।
तुम्हारे भेजे हुए
तमाम संदेश
मुड़े-तुड़े हुए
मेरी जेब में है
निधि की तरह ।
तमाम संदेश
मुड़े-तुड़े हुए
मेरी जेब में है
निधि की तरह ।
तुम्हारे संदेशों के
दुहरे अर्थ के
द्वंद को ओढ़े बैठा हूँ
चोराहे पर खड़े
नागर जन की तरह ।
दुहरे अर्थ के
द्वंद को ओढ़े बैठा हूँ
चोराहे पर खड़े
नागर जन की तरह ।
लोग हँसते है
सहानुभूति दिखाते हैं
डांटते हैं
देख कर मुझे
मध्य राह बुत की तरह।
सहानुभूति दिखाते हैं
डांटते हैं
देख कर मुझे
मध्य राह बुत की तरह।
मेरी मंजिल
तुम्हारे वे संदेश
जो दुहरे अर्थ में
उलझाते हैं
तुम अर्थ बता सकते हो
किसी प्रिय जन की तरह ।
तुम्हारे वे संदेश
जो दुहरे अर्थ में
उलझाते हैं
तुम अर्थ बता सकते हो
किसी प्रिय जन की तरह ।
No comments:
Post a Comment