नुकीली कील को लगता है
वह कहीं भी किसी के अंदर
धंस सकती है
और उसको अंदर ही अंदर
बेध सकती है,
लेकिन कील को निकालने, काटने के साथ
कुंद करने के भी साधन
उन्होने ही बनाए हैं
जिनके वक्ष में धँसी थी कील।
वह कहीं भी किसी के अंदर
धंस सकती है
और उसको अंदर ही अंदर
बेध सकती है,
लेकिन कील को निकालने, काटने के साथ
कुंद करने के भी साधन
उन्होने ही बनाए हैं
जिनके वक्ष में धँसी थी कील।
जिन हाथों ने धकेली थी कील
नर्म वक्ष में
और हवा में इठलाते लगाए थे ठहाके
कुछ बदहवास से, कुछ विकृतचित्त से,
वे ही कील ठोकने वाले हाथ
नर्म और गुदगुदे पावों को
सहलाते देखे जाते हैं,
समय कभी क्षमा नहीं करता
किसी नयायाधीश की तरह।
नर्म वक्ष में
और हवा में इठलाते लगाए थे ठहाके
कुछ बदहवास से, कुछ विकृतचित्त से,
वे ही कील ठोकने वाले हाथ
नर्म और गुदगुदे पावों को
सहलाते देखे जाते हैं,
समय कभी क्षमा नहीं करता
किसी नयायाधीश की तरह।
समय देव है, समय पिता है
समय माँ है, समय ही मित्र है
समय ही हिस्से में बाँट कर देता है-
दुख और सुख,
जिसके हिस्से आए हैं दुख
उसे अब सुख मिलेगा
जिसके हिस्से आई थी
घनीभूत पीड़ा और अपमान
उसके हिस्से आएंगे शांति और सम्मान,
आखिरकार समय देता है
क्योंकि समय गधे की तरह
कभी व्यर्थ का बोझा नहीं ढोता।
समय माँ है, समय ही मित्र है
समय ही हिस्से में बाँट कर देता है-
दुख और सुख,
जिसके हिस्से आए हैं दुख
उसे अब सुख मिलेगा
जिसके हिस्से आई थी
घनीभूत पीड़ा और अपमान
उसके हिस्से आएंगे शांति और सम्मान,
आखिरकार समय देता है
क्योंकि समय गधे की तरह
कभी व्यर्थ का बोझा नहीं ढोता।
शांति, सम्मान और अधिकार
स्वतः नहीं आते हैं
मांगने पड़ते हैं, कुछ लड़ना होता है
समय भी तभी सुनता है
जब हम उठा देते हैं
योद्धा की तरह शंखनाद,
समय बहरा नहीं है
समय रहता है सत्य के साथ
इसीलिए वह न्याय से पहले
लेता है कुछ वक्त,
वह देखना चाहता है कील ठोकने वाले
हाथों का विश्वास,
वे गंदे हाथ कब तक ठोक सकते हैं
नर्म वक्ष में सड़ी कीलें।
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमंद।
स्वतः नहीं आते हैं
मांगने पड़ते हैं, कुछ लड़ना होता है
समय भी तभी सुनता है
जब हम उठा देते हैं
योद्धा की तरह शंखनाद,
समय बहरा नहीं है
समय रहता है सत्य के साथ
इसीलिए वह न्याय से पहले
लेता है कुछ वक्त,
वह देखना चाहता है कील ठोकने वाले
हाथों का विश्वास,
वे गंदे हाथ कब तक ठोक सकते हैं
नर्म वक्ष में सड़ी कीलें।
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमंद।
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