फूल खिला तेरी नजर से , इस के भी कुछ मायने हैं .
फूल गिरा तेरी नजर से , इस के भी कुछ मायने हैं .
एक बिरवा जो तूने लगाया , फूल भी थे कांटे भी थे .
वो ही बिरवा तूने उजाड़ा , इस के भी कुछ मायने हैं .
कह गए थे बुजुर्ग हम से , तुम राह सब निर्मल रखो .
तू ने राहें उलझा रखी तो , इस के भी कुछ मायने हैं .
लहू से सने हैं पैर सब के , वो दोष भी हम पर मढ़ा है.
तू ने चाकू घर में छिपाया , इस के भी कुछ मायने हैं .
कह रहा था तू ही सभी को , उपवास पर है दिन टिका .
तेरी दाढ़ में हड्डी फंसी तो , इस के भी कुछ मायने हैं .
फौज मरियल सी खड़ी कर , तू ने भी खूब आंसू बहाये.
तेरी सुविधाएं बढ़ गयी नित , इस के भी कुछ मायने हैं.
तिस्नगी में कितने मरे हैं , उन की मैयत में तू न था.
उन की शहादत कह रहा तू , इस के भी कुछ मायने हैं.
लोग अंगुल दो ऊंचे हुए कुछ , कद तेरा छोटा हुआ तब.
तब पैरों में चलाई थी करौती, इस के भी कुछ मायने हैं.
कुछ लोग कुदाली थामते हैं , कुछ कद तेरा भी नापते .
कुछ लोग मिट्टी खन रहे तो , इस के भी कुछ मायने हैं.
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमन्
फूल गिरा तेरी नजर से , इस के भी कुछ मायने हैं .
एक बिरवा जो तूने लगाया , फूल भी थे कांटे भी थे .
वो ही बिरवा तूने उजाड़ा , इस के भी कुछ मायने हैं .
कह गए थे बुजुर्ग हम से , तुम राह सब निर्मल रखो .
तू ने राहें उलझा रखी तो , इस के भी कुछ मायने हैं .
लहू से सने हैं पैर सब के , वो दोष भी हम पर मढ़ा है.
तू ने चाकू घर में छिपाया , इस के भी कुछ मायने हैं .
कह रहा था तू ही सभी को , उपवास पर है दिन टिका .
तेरी दाढ़ में हड्डी फंसी तो , इस के भी कुछ मायने हैं .
फौज मरियल सी खड़ी कर , तू ने भी खूब आंसू बहाये.
तेरी सुविधाएं बढ़ गयी नित , इस के भी कुछ मायने हैं.
तिस्नगी में कितने मरे हैं , उन की मैयत में तू न था.
उन की शहादत कह रहा तू , इस के भी कुछ मायने हैं.
लोग अंगुल दो ऊंचे हुए कुछ , कद तेरा छोटा हुआ तब.
तब पैरों में चलाई थी करौती, इस के भी कुछ मायने हैं.
कुछ लोग कुदाली थामते हैं , कुछ कद तेरा भी नापते .
कुछ लोग मिट्टी खन रहे तो , इस के भी कुछ मायने हैं.
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमन्
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