सुग्रीव संतुष्ट हो के , सभासद को कहते ,
सीता शोध योजना में ,शीघ्र लगना होगा.
लोक की व्यथा से राम , भली भांति विज्ञ अत्र ,
सैन्य-संघठन अभी , शीघ्र करना होगा.
अन्नागार -शस्त्रागार , पूर्ण करें आप अब ,
साधन - वाहन हमें , शीघ्र साधना होगा.
दिशा-दशा देश-काल , चाहे कोई कैसा भी हो ?
मित्रों ! रामाज्ञानुसार , शीघ्र बढ़ना होगा.
चिंतामग्न हो कर के , सभासद चल दिये ,
डग मग नापते हैं , मन निर्विकल्प है .
हनुमान आये नहीं , चिन्तना अनेक होती ,
अग्र गामी कैसे होगा ,शेष जो प्रकल्प है.
सीता शोध हो गया है , प्रतिष्ठा का प्रश्न अब ,
सीता मात्र हल होगा , किया जो संकल्प है.
तभी चर मिल कर , कपि आगमन कहे ,
हर्ष सह दौड़ गये , यही तो विकल्प है.
सागर को पार कर , श्रृंग पे उतर कर ,
चिंतामग्न हो कर के , सभासद चल दिये ,
डग मग नापते हैं , मन निर्विकल्प है .
हनुमान आये नहीं , चिन्तना अनेक होती ,
अग्र गामी कैसे होगा ,शेष जो प्रकल्प है.
सीता शोध हो गया है , प्रतिष्ठा का प्रश्न अब ,
सीता मात्र हल होगा , किया जो संकल्प है.
तभी चर मिल कर , कपि आगमन कहे ,
हर्ष सह दौड़ गये , यही तो विकल्प है.
सागर को पार कर , श्रृंग पे उतर कर ,
हनुमान किलकारी , सुन कर वीर-वृन्द ,
सीता शोध मान कर ,उल्लास वो भरता.
राज राजा सुग्रीव जो , सुनते हैं कपि आया,
हर्ष सह वानर से , अंक भेंट करता.
वानर विनय सह , सीता शोध कह कर ,
दशग्रीव स्वेच्छाचार , दुर्ग-दहन कहता .