वाहिनी का आगमन , चिंता का विषय है ,
वाहिनी जो चढ़ आई ,कारण को खोजिए .
सीता का हरण किया , रामदूत रिक्त गया ,
रामाज्ञा अवहेलना , कारण को मानिए .
कार्य के निरोध हेतु , कारण निरोध करें ,
युद्ध कोई हल नहीं , विवाद उचित नहीं ,
राघव अतुल्य वीर , कौतुक न जानिए .
भीषण प्रहस्त रक्ष ,सरोष वो बोल पड़ा,
हम सब यहाँ बैठे , संशय क्यों पालते ?
नर नाग किन्नर हो , छलि-बलि देव चाहे,
दधि सम मथ दिए , ये भी मथ डालते .
अगणित वीर यहाँ , इन्द्रजीत वीर यहाँ ,
रावण सा नृप यहाँ , राम को न जानते .
विभीषण आप जैसा , भयभीत नहीं कोई ,
रावण अनुज हो के , भय - भ्रम पालते .
अनुचित कथन से , विभीषण चीख पड़े ,
गंभीर गुहा से जैसे , केसरी गरजता .
तुम जैसे ही प्रहस्त , पार्षद भरे हुए हैं ,
आत्ममुग्ध रहे सदा , नृप भी बहलता .
विनय स्वभाव मेरा , पानी की तरह मानो ,
पानी सदा उग्र होता , लेकर तरलता .
राम सम तुम नहीं , तुम सम राम नहीं ,
राम-धनु प्रत्यंचा से , त्रैलोक्य दहलता .
आत्ममुग्धता से रक्ष , स्वेच्छाचारी हो गए हैं ,
मर्यादित कर्म नहीं , तार-तार सत्य है .
मार दिया सृजन को , पाल लिया विध्वंस को ,
हरण-दलन मुख्य , तार-तार मूल्य है,
मन के ही क्रीत रहे , भोग में ही लीन रहे ,
संविधान सोया रहा , तार-तार तन्त्र है .
स्वार्थ यहां मुख्य बना, परमार्थ गौण बना ,
दिशाहीन मंत्रणा है , तार-तार मन्त्र है .
भीषण प्रहस्त रक्ष ,सरोष वो बोल पड़ा,
हम सब यहाँ बैठे , संशय क्यों पालते ?
नर नाग किन्नर हो , छलि-बलि देव चाहे,
दधि सम मथ दिए , ये भी मथ डालते .
अगणित वीर यहाँ , इन्द्रजीत वीर यहाँ ,
रावण सा नृप यहाँ , राम को न जानते .
विभीषण आप जैसा , भयभीत नहीं कोई ,
रावण अनुज हो के , भय - भ्रम पालते .
अनुचित कथन से , विभीषण चीख पड़े ,
गंभीर गुहा से जैसे , केसरी गरजता .
तुम जैसे ही प्रहस्त , पार्षद भरे हुए हैं ,
आत्ममुग्ध रहे सदा , नृप भी बहलता .
विनय स्वभाव मेरा , पानी की तरह मानो ,
पानी सदा उग्र होता , लेकर तरलता .
राम सम तुम नहीं , तुम सम राम नहीं ,
राम-धनु प्रत्यंचा से , त्रैलोक्य दहलता .
आत्ममुग्धता से रक्ष , स्वेच्छाचारी हो गए हैं ,
मर्यादित कर्म नहीं , तार-तार सत्य है .
मार दिया सृजन को , पाल लिया विध्वंस को ,
हरण-दलन मुख्य , तार-तार मूल्य है,
मन के ही क्रीत रहे , भोग में ही लीन रहे ,
संविधान सोया रहा , तार-तार तन्त्र है .
स्वार्थ यहां मुख्य बना, परमार्थ गौण बना ,
दिशाहीन मंत्रणा है , तार-तार मन्त्र है .
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