Sunday, 11 September 2011

हम हैं राग मल्हार .

११सितम्बर ,विश्व के लिए काला दिवस है. अमेरिका पर आतंकी हमला हर दृष्टि से अमानवीय था. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हो या भारत में ताज होटल पर बात एक ही है . मुझे इतना जरूर समज में आता है की मनुष्य कपडे पहन कर जरूर बाहर-बाहर से संवर गया लेकिन अन्दर से अभी भी आदिम अवस्था में जी रहा है. दोस्तों   अभी हमारा काम समाप्त नहीं हुआ है-

अभी गर्द इतनी छाई की,
चमन हुआ उदास.
मदहोशी ने पासा  फेंका ,
हार गया उजास .

पर हम पर क्या मदहोशी  होगी . हम हैं राग मल्हार .

No comments:

Post a Comment

संवेदना तो मर गयी है

एक आंसू गिर गया था , एक घायल की तरह . तुम को दुखी होना नहीं , एक अपने की तरह . आँख का मेरा खटकना , पहले भी होता रहा . तेरा बदलना चुभ र...