षड-ऋतु की विनम्र परम्परा में,
आने को तत्पर - वसंत .
हाय ! वसंत से पहले ,
दिल्ली में कुत्सित विस्फोट.
दिल्ली में कुत्सित विस्फोट से
न्यायालय के पुनीत अनुष्ठानों में,
आगत शिव-स्वरूप जन-वृन्द ,
पल में बदल गया शव में,
हाय ! नराधम ;
क्या तुमने नहीं देखा ,
उनके मुख पर -
सुख-दुःख मिश्रित
भय-उल्लास ,
आशा-निराशा में डोलता,
जीवन - गति ,उत्साह ,
क्षण भर में जीवन-दृश्य,
बदल गया,
मृत्यु के उत्सव में,
शोक-विलाप,कम्पन -रुदन ,
अंग- भंग- विच्छेदन ,जन-कराह
मांस -मज्जा ,अस्थियाँ -अंतड़ियां ,
इधर -उधर बस आपाधापी ,
दिल्ली में.
भय से सन्न पूरा देश ,
छूट गया, हाथों का काम,
एक ही चर्चा , एक ही शोक,
हुआ पुनः आगात ,
सब कोई ढूंढे अपना-अपना
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