विषधर !
तुम चन्दन वन में,
चंदनों पर ,
काली-काली कुण्डलियाँ ,
कसकर उन्हें ,
डसा मत करो .
नितांत आवश्यक है,
तुम्हारा विषवमन,
तो,वहाँ करो,
जहां हो रहा है ,
विष-बीजों का अंकुरण .
क्योंकि-
लोहा लोहे को काटता है ,
वैसे ही-
जहर जहर को मारता है.
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