आस्थाएं ढल गयी ,रास्ते बदल गए.
सब्ज बाग़ देखने के वास्ते मचल गए.
दोड़ती है जिंदगी ,
हांफती है जिंदगी ,
देखर यूँ कफन ,
माँगती है जिंदगी ,
जल रही है जमीं
जल रहा है आसमाँ ,
जंगलों के बीच-बीच,
खो गया है रास्ता.
चाँद के हिले-हिले ,बिम्ब से बहल गए.
सब्ज बाग़ देखने के, वास्ते मचल गए.
घोर अन्धेरी रात में,
साथ है छुटा - छुटा,
भोर अभी तो दूर-दूर ,
राह है भुला - भुला ,
छेद हैं बड़े-बड़े,
नाव के तले-तले,
हाथ हैं कटे-कटे,
चप्पू हैं जले-जले,
पानी के जमे-जमे, रूप से बहल गए,
आस्थाएं ढल गयी ,रास्ते बदल गए.
हर हरा के चढ़ रही,
काल सी ये बदलियाँ ,
भर भरा के गिर रही,
व्याल सी ये बिजलियाँ,
देखता हूँ में जिधर ,
आग ही आग है,
आस पास में खड़े ,
नाग है नाग है,
रेत के उठे - उठे ,ढेर से बहल गए.
आस्थाएं ढल गयी ,रास्ते बदल गए
लहर-लहर पर उतर ,
नाव को भी थामते,
अंगुली पिरो - पिरो,
छेद को भी थामते ,
आफतों को डाँटते ,
बढ़ रहें हैं रास्ते,
जी रहें हैं दोस्तों ,
देश ही के वास्ते,
पलाश के खिले-खिले ,पेड़ से बहल गए.
आस्थाएं ढल गयी ,रास्ते बदल गए.
वाह वाह सर, क्या बात है! मेरे प्रिय गीतों में एक इस गीत का भी स्वागत है। नवरात्रि की शुभकामनाएँ। वाह वाह सर, क्या बात है! मेरे प्रिय गीतों में एक इस गीत का भी स्वागत है। नवरात्रि की शुभकामनाएँ।
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