नयी गति .नयी- नयी प्रवृत्ति ,
नयी चिन्तना , नयी-नयी सृष्टि.जय-जय भारत .जय- जय-जय
चढ़ -चढ़ आया जब-जब ज्वार ,
तव आकर्षण माँ, बस तव आकर्षण.
रोता - चिल्लाता ,
अर्द्ध- शुष्क , विकृत - विगलित ,
मृत -सत्य ,
बहते- बहते भी करता जाता,
संघर्षण ,
इसको बह जाना होगा ,रिक्त जगह पर विकसे,
शिव - स्वरूप नव सत्य
जय-जय भारत . जय- जय-जयनयी भोर में,
नव आलोक,
सैनिक -पलटन सा ,
कर रहा संचलन,
लेकर नव सन्देश,
द्विज - कुल गाये नव-नव गीत,नूतन छंद में,नूतन रीत
बड़े वेग से , आतुर-व्याकुल ज्वार ,
कर- कर कोप ,
कूल-कूल पर करता चोट ,
व्याकुल कूल , बह -बह जाता ,
फिर जम जाता ,
लेकर शुचिता , द्रवित किनारा .
नयी मृदा के, नर्म कोख में ,
फिर-फिर जन्म ,
नये अंकुरण की अभिनव पलटन,
करती है जय घोष ,
जय-जय भारत .जय- जय-जय .
नव- नव परिवेश . नव-नव योवन ,
बढ़ता है सम्मुख सावेश,
परे रहो ,बढ़ने भी दो,
यह नव सृजन को आतुर-व्याकुल,
इसमें है-
नयी गति .नयी- नयी प्रवृत्ति ,
नयी चिन्तना , नयी-नयी सृष्टि .
जय-जय भारत .जय- जय-जय.
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