मोटी गादी पे
कतराई चढ़ ने उतर गिया,
पण हूनी आँखियाँ तक
उजास रो रेलों नी आयोI
कतराई चढ़ ने उतर गिया,
पण हूनी आँखियाँ तक
उजास रो रेलों नी आयोI
छोरी बारे निकलती डरपे
लुच्चो भरी छातियाँ जो ताके
चिकणी-चुपड़ी वातां करतो
बाबूडियो आंख्याँ मचकावे
चालती मोटर मे डोकरो
कने बैठ जांघ पे हाथ फरावे,
कने तो को ने कूँण हूणसीI
लुच्चो भरी छातियाँ जो ताके
चिकणी-चुपड़ी वातां करतो
बाबूडियो आंख्याँ मचकावे
चालती मोटर मे डोकरो
कने बैठ जांघ पे हाथ फरावे,
कने तो को ने कूँण हूणसीI
हूनी आँखियाँ केवे –
ए रे भायला! उजास तो आसी
पण हंगला कूड़ा भांग पड़ी रे
अणी भांग रो फैसलो कद होसीI
ए रे भायला! उजास तो आसी
पण हंगला कूड़ा भांग पड़ी रे
अणी भांग रो फैसलो कद होसीI
बेटियाँ ने ले ये हूनी आंख्याँ
नींद काढ़े कोने
ये बेटियाँ भणे तो बाप रो जीव जाणे
ये कि कर भणे?
ये बेटियाँ परणे तो बाप रो जीव जाणे
ये कि कर परणे?
हूनी आंख्याँ में बेटियाँ रो हूल यूं लागे
हम्ज्या थें यूं जाणो के
गुड़हल रा फूल हरीखा
राता-राता खीरा पगतल्याँ ने दाजे I
नींद काढ़े कोने
ये बेटियाँ भणे तो बाप रो जीव जाणे
ये कि कर भणे?
ये बेटियाँ परणे तो बाप रो जीव जाणे
ये कि कर परणे?
हूनी आंख्याँ में बेटियाँ रो हूल यूं लागे
हम्ज्या थें यूं जाणो के
गुड़हल रा फूल हरीखा
राता-राता खीरा पगतल्याँ ने दाजे I
हूनी आंख्याँ केवे-
कवि! थारा हाथां सूं मारो लिख दरद
कद तो उजास री ठाड़ी नंदी आवेली
ने धधकता खीरा बुजा जावेली I
कवि! थारा हाथां सूं मारो लिख दरद
कद तो उजास री ठाड़ी नंदी आवेली
ने धधकता खीरा बुजा जावेली I
हूनी आंख्याँ अरज करे तो कठे करे
सब ठोर टका री माया
टका देखे, टका हुणे,
टका बोले, टका गावे
टका जेकारा मारे,
टका भाग रा लेख लिखे
टका रा जोर पे
चोर हाउकार रे हामे चोड़ी छातियाँ कर चाले
अर, झूठलो हाउकार रे माथे चढ़-चढ़ आवे
अस्या टका राज में
बेटियाँ घर री चारदिवारी में आँसूड़ा रड़कावेI
सब ठोर टका री माया
टका देखे, टका हुणे,
टका बोले, टका गावे
टका जेकारा मारे,
टका भाग रा लेख लिखे
टका रा जोर पे
चोर हाउकार रे हामे चोड़ी छातियाँ कर चाले
अर, झूठलो हाउकार रे माथे चढ़-चढ़ आवे
अस्या टका राज में
बेटियाँ घर री चारदिवारी में आँसूड़ा रड़कावेI
हूनी आंख्या केवे-
या आंख्याँ देखी वात हाँची
के आज उलजगी बेटियाँ
जाणे उलजगी तांता में माछलियाँI
या आंख्याँ देखी वात हाँची
के आज उलजगी बेटियाँ
जाणे उलजगी तांता में माछलियाँI
अबे धधकवा लागी हूनी आंख्याँ,
जूं धधक पड्यो है दावानल
हूनी आंख्याँ सवाल पूछे -
टका रा तलघर में उजास बंद क्यूं ?
टका रा तलघर में न्याव बंद क्यूं ?
हूनी आंख्या केवे-
एक दन ताकड़ी वाली देवी ने
आंख्याँ री लीरी उतारणी पड़ेली
टका रा झंजाल सूं जीवणी निकालणी पड़ेली II
जूं धधक पड्यो है दावानल
हूनी आंख्याँ सवाल पूछे -
टका रा तलघर में उजास बंद क्यूं ?
टका रा तलघर में न्याव बंद क्यूं ?
हूनी आंख्या केवे-
एक दन ताकड़ी वाली देवी ने
आंख्याँ री लीरी उतारणी पड़ेली
टका रा झंजाल सूं जीवणी निकालणी पड़ेली II
-त्रिलोकी
मोहन पुरोहित, राजसमन्द (राज)
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