सगला ने रोटी चाईजे
पेट भरण रे खातिर,
आ भूख हंगलाने
एक हरिखी सतावे,
भूख रा तेवर तो देखो
अणि री चाबुक री फटकारा में
छोटा कई ने बड़ा कई
एक जसा छटपटावे
जाणे के माछली ने
पाणी रे बार काढ़ फेंकी
कदी- कदी असो लागे के
हंडासी सूं आन्तडियाँ भींच नाकीI
पेट भरण रे खातिर,
आ भूख हंगलाने
एक हरिखी सतावे,
भूख रा तेवर तो देखो
अणि री चाबुक री फटकारा में
छोटा कई ने बड़ा कई
एक जसा छटपटावे
जाणे के माछली ने
पाणी रे बार काढ़ फेंकी
कदी- कदी असो लागे के
हंडासी सूं आन्तडियाँ भींच नाकीI
छोटा मानुष री भूख
दो मुट्ठी अनाज री
पण बड़ा-बड़ा हाथियाँ री भूख
दो मुठी धान सूं कठे माने,
वणा री भूख मांगे
वामनावतार रे पगा सूं नापी धरती
ने मांगे धरती भर रो धन रो ढेपो I
दो मुट्ठी अनाज री
पण बड़ा-बड़ा हाथियाँ री भूख
दो मुठी धान सूं कठे माने,
वणा री भूख मांगे
वामनावतार रे पगा सूं नापी धरती
ने मांगे धरती भर रो धन रो ढेपो I
जदि सूं धरती पे
सर्जन रो फेरो वियो
वदी सूं करसा ने कामगार आया
अणारे पाँती धरा आई
धरा सूं प्रगटी
चमचमाती सोना री नंदी,
पण या धरती अर सोना री नंदी
कद करसा ने कामगार रे हाथ लागीI
सर्जन रो फेरो वियो
वदी सूं करसा ने कामगार आया
अणारे पाँती धरा आई
धरा सूं प्रगटी
चमचमाती सोना री नंदी,
पण या धरती अर सोना री नंदी
कद करसा ने कामगार रे हाथ लागीI
भारी-भरकम डील-डोल वाला मैमन्ता री भूख
धरा और होना री नंदी ने
हजम करती वदोतर वेती जावे
पण वा रुके कोने,
ज्यूं हरियाला वन रे मायने
बावलों हाथी बरड- बरड कर ने
वन ने चट करतो जावे
ने आगले दन
पाछो भूखो रो भूखो I
धरा और होना री नंदी ने
हजम करती वदोतर वेती जावे
पण वा रुके कोने,
ज्यूं हरियाला वन रे मायने
बावलों हाथी बरड- बरड कर ने
वन ने चट करतो जावे
ने आगले दन
पाछो भूखो रो भूखो I
आज करसा ने कामगार
आपणी-आपणी पागडियाँ फेरवा लाग्या
अबे मेमंता ने रोकणों पडसी,
नी रोक्या तो
छोटा ने निगल जासीI
आपणी-आपणी पागडियाँ फेरवा लाग्या
अबे मेमंता ने रोकणों पडसी,
नी रोक्या तो
छोटा ने निगल जासीI
-
त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमन्द
(राज)
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