आज मैं जहां हूँ
कल वहाँ से बढ़ जाऊं
मेरे पैरों को
आगे बढाने के लिए बिजलियाँ
मचलती हैं I
कल वहाँ से बढ़ जाऊं
मेरे पैरों को
आगे बढाने के लिए बिजलियाँ
मचलती हैं I
मैंने बसंत में
पहली सांस ली
मेरी धड़कन
वासंती मौसम के लिए
धड़कती हैं I
पहली सांस ली
मेरी धड़कन
वासंती मौसम के लिए
धड़कती हैं I
मेरी दुनिया में
फसलें झूमी है
आज नई फसलें
कागज़-कलम का बल लिए
लहराती हैं I
फसलें झूमी है
आज नई फसलें
कागज़-कलम का बल लिए
लहराती हैं I
होंसले की
थाह इस तरह लो
जहां भी नहीं है न्याय
मेरी लड़ाई अनवरत
चल पड़ती है I
थाह इस तरह लो
जहां भी नहीं है न्याय
मेरी लड़ाई अनवरत
चल पड़ती है I
मेरे प्यार का
दायरा छोटा नहीं समझो
जो भी चारों ओर बिखरा है
सभी के लिए
दायरा छोटा नहीं समझो
जो भी चारों ओर बिखरा है
सभी के लिए
मीठी बरसात बरसती है I
-त्रिलोकी
मोहन पुरोहित, राजसमन्द. (राज.
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