सुदूर से आता हुआ , घर्र-घर्र नाद उठा ,
देखा आंजनेय ने , सैन्य - दल आता है.
अग्र भाग गज-दल , पश्च भाग अश्व - दल ,
मध्य भाग भव्य-रथ , वेग सह आता है.
मृग एक दौड़ कर , दुखिया के अंक सटा ,
शिशु मानो मातृ-अंक ,चढ़ा चला आता है.
भय मारे भागते हैं, भोले - भाले वन्य जीव ,
छिपते हैं जीव मानो ,ध्वंस चला आता है
सैन्य दल फैल गया , चक्राकार रचना में ,
भव्य रथ रुक गया , दशग्रीव आया है.
ले के साथ नारियों को , आगे कर मंदोदरी ,
छैला - रूप धर कर , हतबुद्धि आया है.
बुद्धिमंत हनुमान , शीघ्र ही समझ गये ,
जानकी से मिलने को,मंदबुद्धि आया है.
सती सीता मुंह फेर , करुण विलाप करे ,
हाय ! राम शीघ्र करो , शठबुद्धि आया है.
हुआ सम्मुख लंकेश , सती से यूँ कहता है ,
मुझ को स्वीकार करो , रक्ष-रानी बन जा.
मेरे साथ पार्श्व-बैठ , सिंहासन कृतार्थ करो ,
वैभव तुम्हारा होगा , राज-रानी बन जा .
भूत अब भूल जाओ , वर्तमान सम्मुख है,
भविष्य भी यही तय , भव-रानी बन जा.
देव-नर-नाग सब , हैं मेरे यहाँ तत्पर ,
सबको आदेश देना , पट-रानी बन जा.
देखा आंजनेय ने , सैन्य - दल आता है.
अग्र भाग गज-दल , पश्च भाग अश्व - दल ,
मध्य भाग भव्य-रथ , वेग सह आता है.
मृग एक दौड़ कर , दुखिया के अंक सटा ,
शिशु मानो मातृ-अंक ,चढ़ा चला आता है.
भय मारे भागते हैं, भोले - भाले वन्य जीव ,
छिपते हैं जीव मानो ,ध्वंस चला आता है
सैन्य दल फैल गया , चक्राकार रचना में ,
भव्य रथ रुक गया , दशग्रीव आया है.
ले के साथ नारियों को , आगे कर मंदोदरी ,
छैला - रूप धर कर , हतबुद्धि आया है.
बुद्धिमंत हनुमान , शीघ्र ही समझ गये ,
जानकी से मिलने को,मंदबुद्धि आया है.
सती सीता मुंह फेर , करुण विलाप करे ,
हाय ! राम शीघ्र करो , शठबुद्धि आया है.
हुआ सम्मुख लंकेश , सती से यूँ कहता है ,
मुझ को स्वीकार करो , रक्ष-रानी बन जा.
मेरे साथ पार्श्व-बैठ , सिंहासन कृतार्थ करो ,
वैभव तुम्हारा होगा , राज-रानी बन जा .
भूत अब भूल जाओ , वर्तमान सम्मुख है,
भविष्य भी यही तय , भव-रानी बन जा.
देव-नर-नाग सब , हैं मेरे यहाँ तत्पर ,
सबको आदेश देना , पट-रानी बन जा.
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