Wednesday, 21 December 2011

चिंता- मग्न दशग्रीव , पूछता है पार्षदों से ,
            कैसे अवरुद्ध होगा , लंका में  प्रमाद जो ?
सभासद मध्य बैठा ,कनिष्ठ तनय बोला ,
            तात आज्ञा मिल जाये ,रोक दूं विवाद को.
लंकेश बोला तत्क्षणआपको उचित होगा  ,
            यथा शीघ्र रुद्ध करो , कपि के उन्माद को .
अक्षय कुमार चला , सुभट को साथ लिये ,
             निमंत्रित कर बैठा , हाय रे ! वो काल को .

अक्षय कुमार गया , जहाँ हनुमान थे ,
            देख कर  शाखामृग ,  करता प्रहार है.
भ्रष्ट  कर प्रहार को , आंजनेय हूँकते हैं ,
            दैत्य - सैन्य मार दिये, मुष्टिका प्रहार से .
रावण तनय श्लथ , होकर के चिन्तता है,
            भोला हूँ विजया खाली ,बिना ही विचार से.
तभी उसके वक्ष पे , कपि ने आघात किया ,
            मृत्यु-मुख में गया वो , अल्प ही प्रयास से.

अक्षय कुमार क्षय, जान कर दशग्रीव ,
           मेघनाथ  कह भेजा , स्थिति  संभालिए .
लंका में उत्पात करे,शासन को भ्रष्ट करे ,
           यह कौन वानर है  ? जरा   पहचानिए .
सुभटों को साथ कर , अस्त्र-शस्त्र सज्जित हो ,
           जैसे भी हो ले ही आओ , वानर दिखाइए .
सीधी अंगुली से कभी , घृत हाथ आये नहीं ,
           अंगुली को वक्र  कर , कार्य  साध जाइए .            
            

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