परिधि ले के ,
है प्रिय से मिलना ,
संभव कैसे ?
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लगा अडंगा ,
है चाह बढ़त की,
संभव कैसे ?
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कटु वक्ता को,
हो सुगीत श्रवण,
संभव कैसे ?
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प्रतिभा-पानी,
तरल-सरल ना,
संभव कैसे ?
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आग लिए तू ,
अब सो सकता है ,
संभव कैसे ?
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