मैं नदी सा ,
बन रहा हूँ ,
सतत बहता,
जा रहा हूँ .
दो कगारों,
मध्य फैली ,
जिन्दगी ,
अनुशासना में,
रिस रहा है ,
प्राण मुझ से ,
निर्माण की ,
अनुपालना में.
रससिक्त होता ,
जा रहा हूँ .
मैं नदी सा ,
बन रहा हूँ .
प्रवहमान भी ,
गतिशील भी ,
व्यक्तित्व की,
पहचान है ,
बहते जाना,
बढ़ते जाना ,
नियति भी ,
सम्मान है .
सब में गुलता ,
मिल रहा हूँ .
मैं नदी सा ,
बन रहा हूँ .
अर्जन के सह ,
विसर्जन भी ,
तृप्ति के सह,
अर्पण भी है.
गति के सह ,
गायन भी है ,
मुक्ति के सह ,
बंधन भी है.
नव सृजन को,
रच रहा हूँ .
मैं नदी सा ,
बन रहा हूँ .
बन रहा हूँ ,
सतत बहता,
जा रहा हूँ .
दो कगारों,
मध्य फैली ,
जिन्दगी ,
अनुशासना में,
रिस रहा है ,
प्राण मुझ से ,
निर्माण की ,
अनुपालना में.
रससिक्त होता ,
जा रहा हूँ .
मैं नदी सा ,
बन रहा हूँ .
प्रवहमान भी ,
गतिशील भी ,
व्यक्तित्व की,
पहचान है ,
बहते जाना,
बढ़ते जाना ,
नियति भी ,
सम्मान है .
सब में गुलता ,
मिल रहा हूँ .
मैं नदी सा ,
बन रहा हूँ .
अर्जन के सह ,
विसर्जन भी ,
तृप्ति के सह,
अर्पण भी है.
गति के सह ,
गायन भी है ,
मुक्ति के सह ,
बंधन भी है.
नव सृजन को,
रच रहा हूँ .
मैं नदी सा ,
बन रहा हूँ .
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