Sunday, 25 March 2012
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संवेदना तो मर गयी है
एक आंसू गिर गया था , एक घायल की तरह . तुम को दुखी होना नहीं , एक अपने की तरह . आँख का मेरा खटकना , पहले भी होता रहा . तेरा बदलना चुभ र...
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दूर क्यों खड़े , आओ बात तो करें. संवाद के लिए , मुलाकात तो करें. सूनी - सूनी सांज, उदास है प्रभात , दिग्भ्रमित है दिन , बर्फ सी ...
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जब हम अपना शहर छोड़ होते हैं बाहर हमें अपने लोग करते हैं याद नियति की तरह। कुछ की स्मृतियों में हम आवश्यकता के जैसे कुछ के लिए हम साधन...
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गूँज गये जंगल-शहर बंदूकों की गरज में और , उस दरमियान , सहमा तो केवल , मासूम आदमी . हाँ , वह आदमी सहमा , जो रोज रोटी की, जुगत में ,...
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