कोयल कूकी,
गहराती अमिया ,
सुख के दिन ,
धीरे से रीत चले ,
रेत से दिन.
मैना चुप है ,
झरती है अमिया ,
दुःख के दिन ,
लम्बे होते जाते हैं ,
छाँव से दिन.
चिड़िया गाती ,
हुलसाई अमिया ,
अपने दिन ,
बरस के बहते ,
पानी से दिन.
युगल देख ,
अमिया भी बौराई ,
प्यार के दिन ,
मुश्किल से टिकते ,
झूले से दिन.
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित. राजसमन्द ( राज.)
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