Sunday, 23 December 2012

शीत सुहानी .


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चढ़ आई है ,
घर की बुढिया सी,
शीत सुहानी .
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लिये रजाई ,
कम्बल ओढ़े आई ,
शीत सुहानी.
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सी सी करती ,
दस्तक देती आई ,
शीत सुहानी .
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मीठा हलुआ ,
गुड-तिल्ली ले आई ,
शीत सुहानी.
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खींच रजाई ,
माँ बोली -"ओढ़ इसे" ,
शीत सुहानी .
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- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमन्द .

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