स्त्री आज भी है रहस्य
जिसकी ओर
कौतुहल से
देखता है हर कोई,
मानो पाताल तक
पहुँची हुई गुहा के साथ
अभी भी चिपके हुए हैं
अनछुए पहलू कई।
जिसकी ओर
कौतुहल से
देखता है हर कोई,
मानो पाताल तक
पहुँची हुई गुहा के साथ
अभी भी चिपके हुए हैं
अनछुए पहलू कई।
बाहुबली से लेकर
राजा-रंक साधु-संत तक
दिखाई देते हैं आतुर
जानने के लिए रहस्य,
स्त्री परत दर परत
रहस्यों को ढोते हुए भी
बेखबर सी
बढ़ी जा रही है इतस्तत:
रंगहीन वायु के जैसे
पहले से अधिक
रहस्यमय होते हुए ।
राजा-रंक साधु-संत तक
दिखाई देते हैं आतुर
जानने के लिए रहस्य,
स्त्री परत दर परत
रहस्यों को ढोते हुए भी
बेखबर सी
बढ़ी जा रही है इतस्तत:
रंगहीन वायु के जैसे
पहले से अधिक
रहस्यमय होते हुए ।
स्त्री के वे सब रहस्य
जिन्हें वह जानती है
और वे रहस्य भी
जिन्हें वह स्वयं भी
नहीं जानती,
उसकी छिपी हुई
ताकत के
मानो हैं स्रोत से
जिसके बलबूते
लड़ाई जीतने का
विश्वास रखती है।
जिन्हें वह जानती है
और वे रहस्य भी
जिन्हें वह स्वयं भी
नहीं जानती,
उसकी छिपी हुई
ताकत के
मानो हैं स्रोत से
जिसके बलबूते
लड़ाई जीतने का
विश्वास रखती है।
स्त्री के रहस्यों की
ताकत का अनुमान
लगाया जा सकता है
इसी बात से कि
वह स्वयं करती है बेबाक बात
योनि की शुचिता पर
अपने ही तर्कों के आधार पर
अपनी अस्मिता के लिए
अधिकारों के लिए
भृकुटियाँ भींचती है
शेष सभी ताकते हैं उसे
अभिमंत्रित कीलित की तरह।
ताकत का अनुमान
लगाया जा सकता है
इसी बात से कि
वह स्वयं करती है बेबाक बात
योनि की शुचिता पर
अपने ही तर्कों के आधार पर
अपनी अस्मिता के लिए
अधिकारों के लिए
भृकुटियाँ भींचती है
शेष सभी ताकते हैं उसे
अभिमंत्रित कीलित की तरह।
जिसने भी अनदेखा किया
शक्ति के स्रोत को
वह कैद हो ही गया
पाताल में
राजा बलि की तरह।
शक्ति के स्रोत को
वह कैद हो ही गया
पाताल में
राजा बलि की तरह।
- त्रिलोकी मोहन
पुरोहित, राजसमन्द।
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