नये वर्ष में प्यारे मित्रों
सब का स्वागत।
खुशियों के हर क्षण का अपने
घर में स्वागत।।
सब का स्वागत।
खुशियों के हर क्षण का अपने
घर में स्वागत।।
धवल कीर्ति की विमल पताका
आना-आना घर-घर आना।
नवल सृजन की सरस फसल को
लाना-लाना आँगन लाना।
आना-आना घर-घर आना।
नवल सृजन की सरस फसल को
लाना-लाना आँगन लाना।
स्वागत-स्वागत नये वर्ष में
यश का स्वागत।
खुशियों के हर क्षण का अपने
घर में स्वागत।।
यश का स्वागत।
खुशियों के हर क्षण का अपने
घर में स्वागत।।
उत्साहित आनन से कर्मन
गढ़ते हुए बढ़ बढ़ जाएँ।
मन प्रफुल्लित से फलश्रुति को
रचते हुए मढ़- मढ़ जाएँ।
गढ़ते हुए बढ़ बढ़ जाएँ।
मन प्रफुल्लित से फलश्रुति को
रचते हुए मढ़- मढ़ जाएँ।
सरल पथों सह विरल पथों पे
ऊर्जा का स्वागत।
खुशियों के हर क्षण का अपने
घर में स्वागत।।
ऊर्जा का स्वागत।
खुशियों के हर क्षण का अपने
घर में स्वागत।।
भोर उजाला लेकर आए
संध्या लाए घर-घर खुशियाँ।
अगल-बगल सब गायन गाए
उत्सव की रहे रंग रलियाँ।
संध्या लाए घर-घर खुशियाँ।
अगल-बगल सब गायन गाए
उत्सव की रहे रंग रलियाँ।
रोग-शोक से दूर रहें सब
मित्रों का स्वागत।
खुशियों के हर क्षण का अपने
घर में स्वागत।।
मित्रों का स्वागत।
खुशियों के हर क्षण का अपने
घर में स्वागत।।
- त्रिलोकी
मोहन पुरोहित, राजसमन्द।
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