हमें तय करनी होगी
एक दिशा
और तय करना होगा
एक लक्ष्य
बिना दिशा और
बिना लक्ष्य के
अब होती है थकान,
जैसे बिना नियन्त्रण के
ऊँचे-नीचे पथ पर
दौड़ती गाड़ी की
धुरी बिगड़ गई
और गाड़ी लहरा रही है
अनियंत्रित सी इधर-उधर।
एक दिशा
और तय करना होगा
एक लक्ष्य
बिना दिशा और
बिना लक्ष्य के
अब होती है थकान,
जैसे बिना नियन्त्रण के
ऊँचे-नीचे पथ पर
दौड़ती गाड़ी की
धुरी बिगड़ गई
और गाड़ी लहरा रही है
अनियंत्रित सी इधर-उधर।
अभी हालात बिगड़े नहीं है
तन के छिन्न-भिन्न
हो जाने पर भी,
मन अभी भी है आर्द्र
जिसके चलते
अभी भी बनी हुई है
सुंदर सम्भावनाएं
जीवन के लिए
जैसे गाड़ी की धुरी
बिगड़ जाने पर भी
उसे थामे हुए है
इक छोटी सी
नन्ही सी कील।
तन के छिन्न-भिन्न
हो जाने पर भी,
मन अभी भी है आर्द्र
जिसके चलते
अभी भी बनी हुई है
सुंदर सम्भावनाएं
जीवन के लिए
जैसे गाड़ी की धुरी
बिगड़ जाने पर भी
उसे थामे हुए है
इक छोटी सी
नन्ही सी कील।
- त्रिलोकी
मोहन पुरोहित, राजसमन्द (राज)
No comments:
Post a Comment