जिनके लिए दीवानगी तक
चले जाते हैं
वे सब एक दिन
चले जाएंगे छोड़ कर
संध्या की ललाई की तरह।
चले जाते हैं
वे सब एक दिन
चले जाएंगे छोड़ कर
संध्या की ललाई की तरह।
जब भी छूट जाती है
हाथ से जली हुई लौ
अचानक अंधेरा
लील जाता है सभी को
भयानक अजदहे की तरह।
हाथ से जली हुई लौ
अचानक अंधेरा
लील जाता है सभी को
भयानक अजदहे की तरह।
सोचने का समय जब
छूट जाता है हाथ से
तब स्याह वर्ण ही
शेष रहता आसपास
जैसे वह फैल गया हो
श्वेत पत्र पर
स्याही की तरह।
छूट जाता है हाथ से
तब स्याह वर्ण ही
शेष रहता आसपास
जैसे वह फैल गया हो
श्वेत पत्र पर
स्याही की तरह।
प्रेम की लौ जलाकर
हाथ में
थामे हुए रखना,
सभी के
अस्तित्व के लिए
है बहुत जरूरी ,
स्याह रंग हमेशा ही
धमकता चला आता
आवारा पशु की तरह।
हाथ में
थामे हुए रखना,
सभी के
अस्तित्व के लिए
है बहुत जरूरी ,
स्याह रंग हमेशा ही
धमकता चला आता
आवारा पशु की तरह।
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमन्द।
No comments:
Post a Comment